Dhoop mein sidhi sadak/
Material type: TextPublication details: New Delhi: Bharatiya Jnanpith, 2013.Description: 147pISBN:- 9789326352116
- 891.433(H) DIX
Item type | Current library | Call number | Status | Date due | Barcode | |
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Book | IIM Kashipur | 891.433(H) DIX (Browse shelf(Opens below)) | Available | 7044 |
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धूप में सीधी सड़क - हिन्दी में बहुत कम लिखने की, ठहरकर, रणनीति बनाकर, शतरंज के खेल की तरह सोच-समझकर एक-एक चाल चलने की जो रिवायत है, उसके विपरीत सन्तोष दीक्षित लगातार लिखते रहे हैं। बकौल कथाकार, 'कहानीकार तो उनके पात्र हैं जो मेरे सर पर सवार होकर ख़ुद को मुझसे लिखवा ले जाते हैं। ठीक उसी तरह जैसे कोई मज़दूर मालिकों के दबाव पर रोज़मर्रे के अपने काम निबटाये चला जाता है। कभी धूप में पसीना बहाते हुए......कभी पुरवा के झोंकों के साथ मस्ती भरे गीत गाते हुए... तो कभी फ़ुर्सत के लम्हों में बीड़ी तम्बाकू का लुत्फ़ उठाते हुए...। मेरे लिए भी कहानी लिखना कुछ-कुछ ऐसा ही काम रहा है। कहीं से कोई अतिरिक्त प्रयास या पेशानी पर अतिरिक्त बल दिये बिना।' कुछ ऐसे ही जीते हुए, नौकरी, घर-गृहस्थी, आया-गया, भूल-चूक सबसे सहज भाव से निबटते, आगे बढ़ते हुए कथाकार ने जीवन में जो कुछ भी धरा-उठाया, उन्हीं कच्चे-पक्के अनुभवों का विस्तार हैं ये कहानियाँ। इस संग्रह में कथाकार के आस-पास के परिवेश से जुड़ाव और संघर्षों की दास्ताँ है। हँसने बोलने, रोने-गाने, थकने-टूटने... सबकी आहट यहाँ मौजूद है। इसमें शराब से भरी रातों की सुबह है, तो प्रार्थना में जुड़े हाथों की शाम भी। इनमें एक मुकम्मल जीवन है। एक ऐसा जीवन... जो शायद तिल भर आपकी त्वचा से भी कहीं चिपका हो...। सर्वथा एक पठनीय पुस्तक।
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